CASTING AND STORIES
जादुई पत्थर
एक गांव मे एक गरीब परिवार एक छोटी सी घर में रहता था // बुजुर्ग पिता 77 साल का था जिसका नाम था रमन और उसका एक बेटा जो 40 साल का था उसका नाम था शिव नाथ और शिवनाथ का एक बेटा जो 12 साल का है और शिवनाथ की पत्नी जो 35 साल की है // शिवनाथ एक फैक्ट्री में नौकरी करता था / शाम को घर लौटते वक्त वो रोज शराब के नशे में घर आता था
पूरा महीने का सैलेरी वो शराब मे उड़ा डालता था // जिसके चक्कर मे बुजुर्ग रमन को इस उमर मे भी काम करना पड़ रहा था //
रात को शिवनाथ शराब के नशे मे झूमता हुआ घर लोटता है // तभी उसका बेटा उससे लिपटते हुए कहता है//
पापा मेरा स्कूल ड्रेस फट गया है // नई खरीद दो
ये सुनते ही बच्चे को थप्पड़ मार देता है
बच्चे दुर जा गिरता है// ये देख बजुर्ग रमन उसे चिल्लाता हुआ कहता है
तुम्हें शर्म नहीं आती एक मासूम पर हाथ उठाते हुए // जो कुछ भी तुम कमाते हो वो सारा शराब पीके उड़ा डालते हो// न घर का खर्चा और न बच्चे की स्कूल फीस/ सारा पैसा मुझे देने पड़ते इस बूडापे में//
घर में जवान बेटा रहने पर भी आज मुझे ये दिन देखना पर रहा है//
और रमन की आखों से आंसू निकल पड़ता हैं ll
और इधर दिखाते हैं शिवनाथ की वाइफ सवेत्री गुस्से से अपने पति को देख रही होती है//
बुजुर्ग रमन सोने का कारीगर है // उसका कारखाना उसके घर से 10 किलोमीटर दूरी पर है // रोज़ वो घर से कारखाना पैदल ही आवा जाही करता है //
इस बुढ़ापे मे वो घर से कारखाना जाते जाते थक जाता था // अब इस बूडापे मे उससे ज्यादा काम नहीं हो पाता//
एक दिन कारखाने के सेठ उसे हापता हुआ आता देख कहता है
सेठ कहता है/
क्यू रमन जी तबियत तो ठीक है न ?
बुजुर्ग हांपते हुए कहता है //
तबियत तो ठीक है सेठ जी // पर इस उम्र में अब 10 किलोमिटर घर से पैदल यहां आते आते थक जाता हूं //
सेठ जी कहता है // अरे आपके घर से तो यहां आने के लिए कितनी सवारी है
बुजुर्ग कहता है // पैदल इसलिए आता जाता हूं की ऑटो का किराया बचाकर
घर का सब्जी भाजी आ जाती हैं //
क्या करू सब किस्मत का खेल है
एक बेटा हैं // वो जो कमाता हैं सारा का सारा पैसा दारू मे उड़ा डालता है //
घर मे बहु और एक पोता है उनकी तकलीफे देखी नही जाती //
एक दिन वह बुजुर्ग रमन कंपनी से पैदल बस स्टॉप के तरफ जा रहा होता है कि रास्ते में एक शिव मंदिर पड़ता था वो अपने कंपनी जाते वक्त और काम से लौटते वक्त मंदिर में प्रार्थना करता था //
मेरे बेटे को दारू पीने की आदत छूट जाए और घर को खुशहाल कर दे//
और रोज की तरह आज भी वो मंदिर से प्रार्थना कर लौट रहा था के वाहा पास के पीपल झाड के पास जमीन में उसे एक चमकता पत्थर दिखाई देता है
वह पत्थर मे से सात रंगों का इंद्रधनुष किरने जैसा लाइट निकल रहा था
रमन वाहा बैठ कर ध्यान से उस पत्थर को आश्चर्य से देखते हुए कहता है
लगता है ये कोई भोलेनाथ का त्रिनेत्र जैसा है
और वो पत्थर को प्रणाम कर उसे उठाकर अपने जेब में रख लेता है
और घर आकर अपने बिस्तर के सिरहाने पर रख देता है
आधी रात को बुजुर्ग रमन को कुछ अजीब सा आवाज उसके कानों में परता है और वो जाग जाता हैं देखता है अपने सिरहाने के पास रखा पत्थर से लाइट बाहर फेंक रही है वो झट से पत्थर को निकलता है
पत्थर से एक रेज निकलता है जिसमे से एक लंबे दाढ़ी वाले साधु बाबा प्रकट होता है
ये देख बुजुर्ग रमन आश्चर्य से देख उसे प्रणाम करता है //
साधु बाबा कहता है //
तुम्हारी सच्ची भक्ती तुम्हारे अच्छे कर्म से खुश होकर मुझे आना पड़ा // तुम्हारी जो भी मांग हो वो ये पत्थर के जरिए मैं तुम्हारी मनोकामना पूरी करूंगा // और अगर इस पत्थर से कोई भी गलत मांग करोगे तो वो पूरी तरह बर्बाद कर देगा // और एक समय में एक ही मांग पूरी होगी // अब मांगो किया तुम्हारी मांग है//
बुजुर्ग रमन कहता है
मेरी पहेली मांग है मेरा बेटा का शराब पीने की आदत से निकल जाय
साधु बाबा कहता है //
तथास्तु // तुम्हारी मनोकामना पूर्ण होगी
बुजुर्ग रमन सुनकर खुश हो जाता हैं और तभी वो बाबा भी गायब हो जाता है//
और उधर शिवनाथ सोया हुआ हैं के तभी स्वप्न में एक बाबा दिखाई देता है// एक लंबे दाढ़ी वाले बाबा// उसके बिस्तर के पास खड़ा होकर कहता है
शिवनाथ तुमने अगर कल से दारु शराब पीना बंद नहीं किया तो तुम्हारी औरत और तुम्हारा एकलौता पुत्र का मृत्यु निश्चित है यह जान लेना
अपने पिता का इज्जत करना सीखो और कल से तुम हमेशा के लिए शराब छोड़ दोगे और अपने परिवार के सामने कसम भी खाओगे कि कभी भी तुम शराब को हाथ नहीं लगाओगे और जो भी तुम कामाओगे महिने के सारा पैसा घर में ला कर दोगे
और ये कहकर बाबा अद्रिस्य हो जाता है//
शिवनाथ की नींद टूटती है वह बिस्तर पर बैठकर हापने लगता है
और हर बड़ा कर वह उठकर रखे लोटे में पानी घटा घट पी जाता है// और सोचता हुआ मन मन में कहता है
कि कल से शराब को हाथ नहीं लगाऊंगा
अगर हमने कल शराब पी तो कुछ भी हो सकता है
ये बाबा कोई सिद्ध पुरुष होगा/तभी उसका नज़र दीवाल घड़ी पर जाती हैं जो सुबह के 4:00 बज रहे हैं
और शिवनाथ को पता है कि सुबह का सपना ज्यादातर सच ही होता है और वह चिंतित होकर टहलने लगता है
दूसरे दिन सुबह शिवनाथ रमन के पाव छू कर अपने काम पर जाता हैं और अपने बच्चे को प्यार करता हुआ कहता है //
बेटा आज तुम्हारे लिए स्कूल ड्रेस ले आऊंगा और पत्नी को देख कहता हैं
सावत्री एक थैली दे दो काम से लोटते वक्त सब्जी भाजी लेते आऊंगा
ये बदलाव देख सवेत्री आश्चर्य हो जाती है और मन ही मन खुश भी होती है // और हाथ जोड़कर ऊपर देख भगवान को धन्यवाद करती है //
इधर बुजुर्ग रमन काम पर जाते समय पत्थर को निकालता हुआ देखकर कहता है
के आज इस पत्थर को अपने सेठ जी को दिखाता हूं // कि यह किस चीज से बनी हुई पत्थर है //इतनी चमक क्यों है इसमें //
अपने कारखाना आकर अपने सेट को वो पत्थर देते हुए कहता है
सेठजी ये पत्थर को पता लगवाए ये कोई कीमती है या ऐसे ही साधारण सा
सेठ ज्वेलरी वाले ने उस पत्थर को चेकिंग करने को दूसरे कारखाने में भेज देता है
उसी शाम को सेठ पत्थर लौटाते हुए बुर्जुग रमन को कहता है
ये अनमोल चमकता कीमती रूबी पत्थर है// इसकी कीमत लगभग पांच करोड़ रुपए है
यह सुनकर बुजुर्ग थरथराने लगता
सेठजी और कहता है
देखो रमन जी यह पत्थर अभी अपने पास सम्हाल कर रखो // जब बेचना हो तो आप हमें बता देना
बुजुर्ग रमन घर आता है सोचता है
इसे बेच देंगे तो एक ही बार में सारा पैसा खर्चा भी हो जाएगा //क्यों ना जब जरूरत पड़ेगा तभी ईससे मांग लेंगे //और तभी शिवनाथ भाजी सब्जी लेकर घर आता है //वह आज शराब नहीं पी रखी है ये देख कर रमन मन खुश होता है
इसका मतलब बाबा का कहना सच हुआ// और फिर देर रात को रमन उस पत्थर को निकाल कर कहता है //
बाबा आप दर्शन दे
और तभी पत्थर में से एक रेंज निकलता है और बाबा प्रकट होता है
रमन कहता है बाबा आपकी कृपा से मेरा लड़का शिवनाथ सुधर गया है
अब मेरे घर की तकलीफ है उसे दूर करें घर को खुशहाल बना दे
इस पर बाबा आशीर्वाद देते हुए कहता है तथा तुम्हारे मनोकामना पूरी होगी और वह गायब हो जाता है
दूसरे दिन रमन का घर झोपड़ी से बिल्डिंग में तब्दील हो जाता है पूरा परिवार अमीर बन जाता है
ये देख पड़ोसी रामलाल को उससे जलन होने लगती है
के अचानक यह रमन इतने पैसे वाला कैसे बन गया
के तभी पड़ोसी रामलाल के बेटे बीमार पड़ जाता है और डॉक्टर उसे जवाब दे देता है यह बचने वाला नहीं है अब इसे भगवान ही बचा सकता है यह बाते जब रमन को पता चलता है तो रमन उस घर में देखने के लिए जाता है रामलाल को कहता है तुम चिंता ना करो रात को मैं प्रार्थना करूंगा तुम्हारा बेटा देखना सुबह ठीक हो जाएगा रमन वहां से चलाता है और फिर उसी रात को रमन पत्थर को निकाल कर करता है बाबा आप प्रकट हो और उस पत्थर में से 11 निकलती है जिसमें से बाबा प्रकट होता है कैसा है बाबा मेरे पड़ोसी रामलाल की बेटे आपसे विनती है तो बाबा कहता है तुम्हारी मनोकामना पूरी हो कह कर गायब हो जाता है
और यह सारा मामला बाहर खिड़की से रामलाल चुपके से नज़ारा देख आश्चर्य हो जाता है
दुसरे दिन रामलाल रमन के पास आकर कहता है //
तुम्हारा धन्यवाद जय जय हो लगता है तुम्हारी प्रार्थना से मेरा बेटा स्वस्थ हो गया है
रमन ने कहा
भाई सुनकर मुझे बड़ी खुशी हुई //बैठो मैं तुम्हारे लिए चाय ले आता हूं
यह कहकर रमन बाहर जाता है इसी बीच रामलाल तकिए में से पत्थर को निकाल लेता है और फिर चाय पीकर चला जाता है दूसरी रात रामलाल आधी रात को घर पर उस पत्थर को निकालकर वैसे ही कहता है बाबा प्रकट हो //और पत्थर से वैसे ही एक रेज निकलता है जिसमें से बाबा प्रकट होता है रामलाल यह देख खुशी से कहता है
बाबा हमारे पड़ोसी रमन को बर्बाद कर दो हमें करोड़पति बना दो
तभी ये सुनकर बाबा की आंखे गुस्से से लाल हो जाता है और अचानक एक सांप बाबा के गले से उतर कर रामलाल को काटने दोरता है
ये देख रामलाल वाहा से भागता हुआ रमन के घर पहुंचता है
और उस से माफी मांगता है और उसे वह पत्थर दे देता है
तभी पीछे से सांप आकर रामलाल को दश लेता है //
जिससे रामलाल के मुंह से झाग निकलता है और वो वही अपना प्राण त्याग देता है
{तो देखा भाइयों लालच में कभी भी इंसान को गलत काम नहीं करना चाहिए }