Casting & stories
सविता भाभी की राइस प्लेट
सविता अपने पति राम सिंह और उनके दो बच्चे और बूढ़े सास ससुर के साथ रहती है
/ सविता के पति ट्रॅक ड्राईवर की नौकरी करता है
वो हर महीने ट्रक में माल लेकर कभी ये शहर कभी वो शहर जाते रहता है // तभी एक दिन राम सिंह सविता को कहता है //
मैं कुछ दिनों के लिए ट्रॅक मे माल लेकर बाहर जा रहा हुं//मां बाबुजी पर ध्यान रखना //और बच्चों पर भी /
बोलकर वो निकल जाता है // दूसरे दिन सविता बन ठन कर बाजार के लिए निकलती हैं // दो बच्ची की मां होने के बावजूद वो जब बन ठन कर सड़कों पर छाती तानकर /चौरी कमर मटकाते हुऐ जब चलती हैं
तो जवान से बूढ़े तक ललचाई आंखों से देखते हुए आहे भरता है // इसी वजह से वो अपने गांव मे भी फैमस हैं सविता भाभी के नाम से /
तभी एक दिन ख़बर मिलता है के उसका पति राम सिंह की ट्रॅक पलटने से दुर्घटना में उसकी मौत हो गई हो गई हैं // ये खबर पाकर घर में कोहराम मच जाती है
कुछ दिनों बाद एक दिन सविता घर में उदास बैठे-बैठे सोचती है
के घर कैसे चलेगा मुझे ही कुछ करना पड़ेगा तभी उसके पड़ोसन मिलने आती है
और सविता से कहती हैं
ऐसे रोने धोने से क्या वो लौटकर आएगा जिसका जानें का वक्त आता है भगवान उसे किसी न किसी बहाने अपने पास बुला लेता हैं
मैंने सुना कई दिनों से तेरे घर चूल्हा नहीं जला / इसलिए ये खाना ले आई हूं और वो एक पोटली देती है और कहती है//
देख सविता तुम्हारे ऊपर अब जिम्मेदारी आ गई है बूढ़े सास ससुर और दो बच्चो को खिलाने की
तू कोई खाने पीने की छोटी सी धंधा डाल दे /अगर किस्मत ने तेरा साथ दिया और अच्छी चल पड़ी तो अच्छी तरह से तेरा घर की खर्चा भी निकल जाएगी//
किसी के यहां घरकाम की नौकरी करके भी उतना पैसा नही मिलेगा जितना कि ख़ुद की धंधे से
और फिर दुसरे दिन सविता मार्केट निकलती हैं ये सोचकर कौन सी धंधा की जाय
तभी उसकी नज़र मार्केट के चौराहे पर एक ठेले में लोग सड़कों पर खड़े होकर खाना खाते हुए देख करीब जाती हैं
लोगों को खाना खाते देख वो भी अपने लिए खाना मंगवाती है
देखती हैं एक बड़ी सी थाली में/ एक दाल एक सब्जी/ रोटी/और चावल/पुरे एक थाली की कीमत 60 रूपये थी //
खाना खाते हुए अपने आप से कहती है//
खाने में कोई स्वाद नहीं हैं // इससे अच्छा तो मैं खाना बना लेती हु // और महंगा भी है //
क्यों ना हम भी यही कही होटल खोलें तो बहुत चलेगी // मेरी थाली की कीमत होगी मात्र 50 रुपैये
पर जगह कैसे मिलेगी
तभी वो देखती है एक दोकान के पास खाली जगह है और वो उस दुकान वाले से कहती है
भैयाजी ये खाली जगह किसकी हैं
मुझे यहां एक ठेले पर होटल डालना था
वो दुकान वाला चहककर कहता है
अरे सरिता भाभी ये जगह मेरी है तुम आराम से खोलो
फिर वो मन ही मन बड़बड़ाता है
अरे तुम्हारी एक झलक पाने के लिए कई दिनों तक इंतजार करना पड़ता था
अब रोज़ और 24 घंटा तुम्हारी दीदार करता रहूंगा //
और वो सोचता हुआ कहता है
कल से डाल दो // तुम्हें और कुछ भी मदद चाहिए सब मिल जायेगी मैं कर दूंगा//
सविता उसे thanks बोलकर घर चली जाती हैं
और फिर वह अपने सास-ससुर से होटल खोलने की परमिशन मांगती है
उन लोग मना करते हैं पर सविता जिद करती है और कहती है
दिन भर घर में बैठे-बैठे क्या करूंगी
दोनो बच्चो की पढ़ाई की खर्चा और घर की भी तो खर्चा है
बेटी बड़ी हो रही उसकी शादी में पैसे की जरूरत होगी और आप लोगों को भी मैं अच्छी तरह से सेवा कर पाऊं //
यह सोच कर ही मैने तय किया हैं होटल खोलने की //
ये सुनकर सास ससुर कहते है
ठीक तू जो अच्छा समझ
और फिर कुछ दिनों बाद मार्केट में उसी जगह पर वो राइस प्लेट की होटल डालती हैं // सस्ते रेट पर // स्वादिष्ट खाना //
सविता के हाथो की बनी हुई खाना बड़ी स्वादिष्ट होती देख/
ग्राहक देखते ही देखते उसके दुकानों में भीड़ बड़ जाती है
पैसो की बौछार होने लगती हैं
पड़ोस के सारी ग्राहक धीरे धीरे अब सविता के होटल में खाने लग जाते है
यह देख पड़ोस के होटल वाला उससे जलने लग जाता है
और वह प्लान करता है उसके होटल को बर्बाद करने की
और एक दिन वह रात को होटल को जला डालता है
दूसरे दिन सुबह जब सविता अपनी होटल जली हुई देखती हैं तो वो खुब जोर जोर से रोती है
ये देख पब्लिक वाहा जमा होने लगती हैं
सभी अफसोस करते है //
तभी वहां एक पुलिस जीप आती है
जीप से इंस्पेक्टर और हवलदार पड़ोस के होटल वाले को हथकड़ी पहना कर सविता के पास आके कहता है
इसने तुम्हारे होटल को जलाया हैं
रातको ही जलाते वक्त इसे arrest किया था और इसने अपना गुनाह भी कबूल कर लिया है और जो भी तुम्हारा नुकसान हुआ है उसकी ये भरपाई भी करेगा
और ये news चारों तरफ फैल जाती हैं
और वहां के विधायक विधवा सविता को एक आलिशान होटल खुलवा देता है//
सविता की परिवार खुशहाल हो जाता हैं
तो देखा आपने एक विधवा औरत हिम्मत कर रास्ते में होटल चला कर अपने परिवार की पेट पाल सकती हैं
तो हम आप क्यू नही
The 🔚