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ll लकड़हारा की किस्मत ll

एक लकड़हारा था उसका नाम बालकिशन था

वो बहुत ही मेहनती था

 जंगल से लकड़ियां काट कर वह अपना जीवन यापन करता था

उसके परिवार में उसकी पत्नी रीता और उसके दो बच्चे थे // कोयल और अजय //

उसके बच्चे हमेशा अपने पिता का दरवाजे पर उसका इंतजार किया करते थे और तभी  लकड़हारा ढेर सारी मोटी लकड़ीया का एक ठेला खींचते हुए घर पर आता हैं

 दोनों बच्चे कहते हैं

पापा आ गए /आ गए /मां देखो पापा आ गए/

रीता कहती हैं // अरे बापरे इतनी मोटी मोटी लकड़ी और इतना वजन

सुरेश कहता है // कल कारीगर रवि ने कहा था कि उसे मोटी वजन वाली लकड़ी चाहिए थीं // किसी सेठ की बेटी की शादी में देने के लिए बड़ा सा पलंग

उसे  बनाना था// इसलिए मैं यह लाया हूं

वह कह रहा था कि मोटी लकड़ी देगा तो वो मुझे अच्छे दाम देगा

पत्नी  आश्चर्य से कहती है //अच्छा

सुरेश कहता है // हां तभी तो मैं सुबह से

ये मोटी लकड़ीया को काट रहा था//

 मैं  काफ़ी थक गया हूं

तुम मेरे लिए चाय बना कर लाओ

वह आता ही होगा

सीता कहती हैं// हां हां आप हाथ मुंह धो लीजिए // तब तक मैं नाश्ता चाय लेकर आती हूं

तभी कारीगर रवि आता है और वह लकड़ी को देखकर बोलता है

अरे वाह  कितनी मोटी लकड़ी

एकदम सिशम की / बिल्कुल सही है/ उठाने की कोशिश करते हुए कहता है // बहुत भारी है /कहां से लाए भाई /मैं तुम्हें इसका  पांच हज़ार दूंगा और अभी कारीगर उसको दो हज़ार एडवांस देता है और कहता है तीन हज़ार बाद में देता हूं मुझे ऐसी लकड़ीया और लगेगी

सुरेश कहता है

 ठीक है ठीक है भाई मैं ला दूंगा //कारीगर कहता है /बहुत अच्छे मेरे कारखाने में यह लकड़ी छोड़ देना यह बहुत भारी है

सुरेश कहता है /रवि जी मैं आपके कारखाने में पहुंचा दूंगा और वो चला जाता है

सुरेश दिन रात मेहनत करके जंगल से लकड़ियां काटकर कारखानों में देता रहता था

उसने काफी पैसे जमा कर लिए थे

 इसी बीच एक दिन सुरेश लकड़ी काटने जंगल में आता है अब उसे मोटी पेड़ दिखाई नहीं देता तो दूर के जंगल में जाता है लकड़ी काटने के लिए

तभी उसे एक बहुत ही मोटी शानदार पेड़ दिखाई देता है /वह जाता है खुश होते हुए कुल्हाड़ी जैसे ही पेड़ पर प्रहार करता है

तभी वोहां से खून की धारा बहने लगती है /यह देख सुरेश डर जाता है और कुल्हारी हाथ से छुट जाता है

के तभी अचानक पेड़ से आवाज आती है

तुम कितना निर्दयी इंसान हो

तुम्हें क्या लगता है हमलोगो को जान नही है भगवान ने जैसे तुम्हें बनाया है वैसे ही हमें

तुम इंसानों को जैसे भुख प्यास नींद दुःख कष्ट आती हैं

वैसे ही हम पेड़ पौधों को भी आती हैं फर्क सिर्फ इतना है कि तुम इंसान सिर्फ इंसान का भाषा समझते हो ठीक वैसे ही हम पेड़ पौधों की अपनी भाषा में बाते करते हैं

तुमने अपनी जीवन में अबतक हजारों पेड़ काटे हैं यानी की  हजारों खून किए हो

इंसान किसी एक इंसान की खून करता है तो उसे फांसी या उम्र भर की सजा दी जाति हैं और तुम्हारे ऊपर तो हजारों खून के इल्जाम हैं इसका सजा तुम्हें भी मिलेगी

तभी एक सांप उसी पेड़ से निकल कर अचानक सुरेश को काट लेता है

सुरेश वहा से भागता हुआ घर आके दरवाजे पर ही गिर पड़ता हैं और उसके मुंह से झाग निकलता रहता है

रीता और दोनों बच्चे रोने लगते है तभी कई पड़ोस के लोग जमा हो जाते है

तभी किसी ने सांप के जहर उतारने वाले को बुला लाता है // वो उसका जहर उतरता है और फिर उसे लेकर hospital पहुंचता है/ डाक्टर उसका

 इलाज करता हैं थोड़ी देर बाद उसे होश आता है

 वह अपनी पत्नी से रोता हुआ पेड़ से जो बाते हुई थीं पूरी कहानी कहता है

कि हमने आज तक इतने पेड़ों को काटा है उसकी सजा हमे सांप डस कर  दिया है // तुम जाओ उसी पेड़  को पूजा करके उससे माफ़ी मांगना यही हमारी पाप की प्राश्चित होगी और कभी भी कोई पेड़ नही काटूंगा बल्कि पेड़ लगाकर उसके फल बेचकर अपना परिवार चलाऊंगा

कुछ दिनों बाद अपने पास मे जो पैसे वो  बचाकर रखें था

उससे तरह तरह के फलों की छोटी झार बाजार से खरीदकर जहां से उसने  काटे थे

वोही सारी फलों की झाड़े लगाना शुरू कर देता हैं

पंपिंग सेट से पानी पाइप डालकर पौधों को शिचता और कुछ महीने बाद उन सारे पौधों में फल आने शुरू होता है

किसी मे आम/ किसी मे लीची /किसी मे ऐपल /किसी मे पपीता खाने के एक से बडकर फल ट्रैको में भड़कर होलसेल बाजार में बिकने के लिए जाने लगता हैं और देखते ही देखते सुरेश अमीर बन जाता हैं

उसका झोपड़ी से आलिशान मकान बन जाता हैं और अमीरों जैसा लाईफ स्टाईल में बदल जाता है

तो देखा भाइयों पेड़ पौधों को उजाड़िए मत // उसे लगाकर भी आप बहुत पैसे कमा सकते है//

The 🔚